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पिता एक साल से बेटी का रेप कर रहा था, पीरियड नहीं आए तो हटा अपराध से पर्दा

दोषी की मां ने ही पुलिस में दर्ज कराया केस.

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लड़की को पीरियड्स नहीं आए तो दादी ने इस पर बात की और पिता की हरकत सामने आई. (सांकेतिक फोटो)

मुंबई की POCSO स्पेशल कोर्ट ने रेप के एक दोषी को 25 साल की सज़ा सुनाई है. दोषी ने अपनी ही नाबालिग बेटी का रेप किया था. उसके खिलाफ उसकी मां ने ही पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी. विक्टिम ने कोर्ट को बताया कि उसका पिता बीते एक साल से उसका रेप कर रहा था.

इंडिया टुडे की विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक, विक्टिम अपने पिता और परिवार के पांच और लोगों के साथ मुंबई के वरली इलाके में 10x10 के कमरे में रहती थी. घर का खर्च दादी और आरोपी जो कुछ भी कमाकर लाते थे उसी से चलता था. विक्टिम की मां सात साल पहले घर छोड़कर चली गई थी, जिसके बाद से उसका पिता ही उसका इकलौता लीगल गार्डियन है. करीब एक साल से वो विक्टिम का रेप कर रहा था. विक्टिम की दादी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने पुलिस में अपने बेटे के खिलाफ शिकायत कर दी.

रेप केस में फैसला सुनाते हुए पॉक्सो स्पेशल कोर्ट ने कहा,

"आरोपी के गिरफ्तार होने के बाद  बच्ची की सारी जिम्मेदारी दादी पर आ जाएगी, ये जानते हुए भी दादी ने अपनी पोती को इंसाफ दिलाने के लिए जो कदम उठाया, कोर्ट उसकी सराहना करता है."

कैसे पता चली नाबालिग के रेप की बात?

बुजुर्ग महिला अपने पति, दो बेटों और तीन पोते-पोतियों के साथ रहती हैं. उन्होंने मई, 2021 में नोटिस किया कि उनकी 13 साल की पोती को कई दिनों से पीरियड्स नहीं आए हैं. उन्होंने उससे इसे लेकर बात की. तब लड़की ने अपनी दादी को बताया कि उसका पिता करीब एक साल से उसका रेप कर रहा था. इसके बाद महिला ने वरली पुलिस स्टेशन में अपने बेटे के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई.  शिकायत के बाद पुलिस ने विक्टिम को मेडिकल जांच के लिए भेजा. रिपोर्ट में सामने आया कि लड़की के साथ यौन हिंसा हुई थी.

बच्ची को कई दिनों तक पीरियड्स नहीं आने पर दादी ने उससे बात की. तब जाकर रेप का पता चला. (सांकेतिक फोटो)

सुनवाई के दौरान आरोपी पिता ने कोर्ट में कहा कि उस पर लगे आरोप झूठे हैं. आरोपी के वकील एस एस जोशी ने दलील दी कि विक्टिम की कुछ लड़कों से दोस्ती थी. आरोपी उसे उनसे नहीं मिलने को कहता था और इसी को लेकर उसे डांटता मारता था. इसी के चलते विक्टिम ने रेप का आरोप लगा दिया. वकील ने ये दलील भी दी कि जिस घर में विक्टिम और उसका परिवार रहता है, वहां पर रेप की संभावना नहीं है क्योंकि वो एक छोटा कमरा है, जहां पर कई लोग एक साथ सोते हैं.

हालांकि, स्पेशल कोर्ट की जज भारती काले ने इस दलील को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा,

"हो सकता है कि जब घर के लोग दिनभर की थकान के बाद सो जाते थे तब आरोपी ने सभी सावधानियां बरतते हुए विक्टिम का रेप किया होगा. ये कहना ठीक नहीं कि कमरा छोटा होने की वजह से ऐसी घटना हो नहीं सकती."

फैसला सुनाते हुए जज भारती काले ने कहा,

"विक्टिम के न चीखने-चिल्लाने से केस के सबूतों की सत्यता पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि यौन शोषण विक्टिम के पिता ने किया था. विक्टिम पूरी तरह से उसपर निर्भर थी. पीड़िता के न चिल्लाने का मुख्य कारण यह है कि बच्चों के मन में यह डर रहता है कि अगर कोई करीबी रिश्तेदार ऐसा कुछ करता है तो उनके जीवन का क्या होगा. और इस केस में विक्टिम की मां पहले ही घर छोड़ कर जा चुकी थी इसलिए विक्टिम की स्थिति और भी ज़्यादा असहाय थी."

कोर्ट ने कहा कि बुजुर्ग महिला को पता था कि आरोपी को जेल होने के बाद उस पर ही उसके तीनों बच्चों की जिम्मेदारी आ जाएगी. ऐसे में वो अपने बेटे के खिलाफ झूठा केस क्यों दर्ज करवाएगी?

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वीडियो - POCSO की स्पेशल कोर्ट ने बच्ची के रेप केस में दोषी को 25 दिन में सुनाई फांसी की सज़ा